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ग़ज़ल
गुलों का हुस्न भी मैं रौनक़-ए-बहार भी मैं
ख़िज़ाँ-रसीदा सी टहनी पे नोक-ए-ख़ार भी मैं
ख़ान अतीक़ आफ़रीदी
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ग़ज़ल
नश्तरी लफ़्ज़ों का लहजा मरहमी रक्खा गया
ज़ख़्म पर मिर्ची से पहले थोड़ा घी रक्खा गया
एख़लाक़ अहमद एख़लाक़
नज़्म
तश्कील-ए-शे'रिस्तान के बा'द
मान ली सरकार ने जब माँग शे'रिस्तान की
शाइ'रों ने साँस ली तब जा के इत्मीनान की
रज़ा नक़वी वाही
नज़्म
नया मकान
चलो मकाँ की मुसीबत से भी नजात मिली
ये ख़्वाब-गह, ये किचन, ग़ुस्ल-ख़ाने और बैठक
मख़मूर जालंधरी
नज़्म
मिनी-बस का सफ़र
कन्वेंस कुछ भी जब नज़र आया न दाएँ बाएँ
सोचा कि आज हम भी मिनी-बस में बैठ जाएँ
खालिद इरफ़ान
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है