aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jalsa-e-be-sar-o-saamaanii"
अपने कमरे में सजाएँ आफ़ाक़जल्सा-ए-बे-सर-ओ-सामानी करें
دریوزۂ ساماں ہا اے بے سروسامانیایجاد گریباں ہا درپردۂ عریانی
बारिशों के थमने सेख़्वाहिशें मचलती हैं
मेरी मिट्टी का नसब बे-सर-ओ-सामानी सेकाम कुछ उस को हवा से न तलब पानी से
मेरी इम्लाक समझ बे-सर-ओ-सामानी कोएक मुद्दत से मैं लाहक़ हूँ परेशानी को
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
जल्सा-ए-बे-सर-ओ-सामानीجلسۂ بے سر و سامانی
procession of being without wherewithal; baggage; goods; sustenance
Marsiya
मीर ख़लीक़
मर्सिया
सरो-सामाँ
अख़्तरुल ईमान
अनुवाद
सर-ओ-सामाँ
नज़्म
Saz-e-Rang-o-Boo
मोहम्मद अरशद आज़मी
काव्य संग्रह
Be-Sar Ki Fauj
इब्न-ए-सईद
Sair-e-Mohammadi
मोहम्मद अली सामानी
इस्लामिक इतिहास
Sair-e-Zulmaat Ba Tasveer
राइडर हैगर्ड
नॉवेल / उपन्यास
Boo-e-Saman
मसूदा हयात
Sir Sayed Tahreek Ka Siyasi-o-Samaji Pas Manzar
इफ़्तिख़ार आलम ख़ान
Gul-e-Sad Rang-o-bu
जमशेद क़मर
संकलन
Jalsa Sal-e-Som Nadwa-tul-Ulama
अननोन ऑथर
इस्लामियात
Saz-o-Mizrab
बीएस जैन जौहर
Saaz-o-Mizrab
बी. एस. जेन गौहर
Idamat-us-Sukr Be-Iqamati Al-Sabr-o-Washshukr
सर पे एहसान रहा बे-सर-ओ-सामानी काख़ार-ए-सहरा से न उलझा कभी दामन अपना
कब से राज़ी था बदन बे-सर-ओ-सामानी परशब मैं हैरान हुआ ख़ून की तुग़्यानी पर
राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भीऔर इस दिल को है कुछ और परेशानी भी
एक 'आलम है जहाँ बे-सर-ओ-सामानी हैकौन आएगा यहाँ बे-सर-ओ-सामानी है
कोई शिकवा है कहाँ बे-सर-ओ-सामानी काइस में भी राज़ निहाँ है कोई आसानी का
हम ने खुलने न दिया बे-सर-ओ-सामानी कोकहाँ ले जाएँ मगर शहर की वीरानी को
इश्क़ सामान भी है बे-सर-ओ-सामानी भीउसी दरवेश के क़दमों में है सुल्तानी भी
उस से मत कहना मेरी बे-सर-ओ-सामानी तकवो न आ जाए कहीं मेरी परेशानी तक
उस से मत कहना मिरी बे-सर-ओ-सामानी तकवो न आ जाए कहीं मिरी परेशानी तक
याद आई न कभी बे-सर-ओ-सामानी मेंदेख कर घर को ग़रीब-उल-वतनी याद आई
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books