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नज़्म
दुआ
जिन के सर मुंतज़िर-ए-तेग़-ए-जफ़ा हैं उन को
दस्त-ए-क़ातिल को झटक देने की तौफ़ीक़ मिले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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नज़्म
हिमाला
हाए क्या फ़र्त-ए-तरब में झूमता जाता है अब्र
फ़ील-ए-बे-ज़ंजीर की सूरत उड़ा जाता है अब्र
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इन ज़ुल्फ़ों में गूँधेंगे हम फूल मोहब्बत के
ज़ुल्फ़ों को झटक कर हम ये फूल गिरा दें तो
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
कभी तुम सर्द करते हो दिलों की आग गर्मी सीं
कभी तुम सर्द-मेहरी सीं झटक कर बाव करते हो