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ग़ज़ल
कोई हसीन है मुख़्तार-ए-कार-ख़ाना-ए-इश्क़
कि ला-मकाँ ही की चौखट है आस्ताना-ए-इश्क़
अहमद हुसैन माइल
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शेर
ऐ मुक़ल्लिद बुल-हवस हम से न कर दावा-ए-इश्क़
दाग़ लाला की तरह रखते हैं मादर-ज़ाद हम
इश्क़ औरंगाबादी
शेर
मा-सिवा-ए-कार-ए-आह-ओ-अश्क क्या है इश्क़ में
है सवाद-ए-आब-ओ-आतिश दीदा ओ दिल के क़रीब
आलमताब तिश्ना
ग़ज़ल
सर्द न कर मज़ाक़-ए-इश्क़ बे-ख़ुदी-ए-नमाज़ में
आँख को दूरबीं बना जल्वा-गह-ए-मजाज़ में
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा