aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kaleem aajiz"
कलीम आजिज़
1926 - 2015
शायर
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिएज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
ये समुंदर है किनारे ही किनारे जाओइश्क़ हर शख़्स के बस का नहीं प्यारे जाओ
भला आदमी था प नादान निकलासुना है किसी से मोहब्बत करे है
करे है अदावत भी वो इस अदा सेलगे है कि जैसे मोहब्बत करे है
गए लेटने रात ढलते हुएउठे सुब्ह को आँख मलते हुए
अभी सुन लो मुझ से
आत्मकथा
वो जो शाइरी का सबब हुआ
काव्य संग्रह
मज्लिस-ए-अदब
अन्य
कूचा-ए-जाना जाना
Woh Jo Shairy Ka Sabab Hua
फिर ऐसा नज़ारा नहीं होगा
Kalim Aajiz
जावेद अब्दुल अज़ीज़
Ek Desh Ek Bideshi
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Yahan Se Kaba Kaba Se Madina
जब फ़स्ल-ए-बहाराँ आई थी
Kaleem Ajiz
असलम जावेदां
Jahan Khushboo Hi Khushboo Thi
Kaleem Aajiz
मनाज़िर आशिक़ हरगानवी
आलोचना
Abhi Sun Lo Mujhse
बेकसी है और दिल नाशाद हैअब इन्हीं दोनों से घर आबाद है
मेरे ही लहू पर गुज़र-औक़ात करो होमुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो
मैं रोऊँ हूँ रोना मुझे भाए हैकिसी का भला इस में क्या जाए है
बात चाहे बे-सलीक़ा हो 'कलीम'बात कहने का सलीक़ा चाहिए
बड़ी तलब थी बड़ा इंतिज़ार देखो तोबहार लाई है कैसी बहार देखो तो
मिरी मस्ती के अफ़्साने रहेंगेजहाँ गर्दिश में पैमाने रहेंगे
ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थीमजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी
कभी ऐसा भी होवे है रोते रोतेजिगर थाम कर मुस्कुराना पड़े है
वो कहते हैं हर चोट पर मुस्कुराओवफ़ा याद रक्खो सितम भूल जाओ
दर्द कब दिल में मेहरबाँ न रहाहाँ मगर क़ाबिल-ए-बयाँ न रहा
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