aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kam-se-kam"
'इश्क़ में जान न देने का है अफ़्सोस मगरकाम कुछ हैं जो शहादत से बड़े हैं मेरे
डब्लू एस सिट्न कार
लेखक
अपने दिल का हाल सुनाना कम से कमआँखों में आँसू भी लाना कम से कम
कम से कम इतनी उधारी चाहिएदिल में फिर से बे-क़रारी चाहिए
कम से कम आरज़ी नहीं होगीमौत इतनी बुरी नहीं होगी
दो आँखों से कम से कम इक मंज़र मेंदेखूँ रंग-ओ-नूर बहम इक मंज़र में
कम से कम इतना इशारा तो करो जाते हुएतुम कभी याद जो आओ तो किसे याद करें
ग़ज़ल का सफ़र बहुत पुराना है | इस सफ़र में ग़ज़ल का शिल्प वही रहा किन्तु उसके विषय बदलते गए | ग़ज़ल का इतने वक़्त तक बने रहने की एक वजह ये भी है कि इस शिल्प ने शायरों को काफ़ी आज़ादी दी, जिससे वे अपनी कल्पनाओं को ख़ूबसूरत रूप दे सके |
इस चयन में अख़्तरुल ईमान की कुछ नज़्में शामिल हैं। ग़ज़ल शैली को आमतौर पर उर्दू में सराहा जाता है और लगभग हर शायर ग़ज़ल लिखने की कोशिश करता है, लेकिन अख़्तरुल ईमान ने ग़ज़ल के बजाय नज़्मों को चुना और नज़्म के एक सफ़ल शायर के रूप में लोकप्रिय हो गए, उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "एक लड़का है" जो इस चयन का हिस्सा है हम इस चयन के माध्यम से उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि पेश करते हैं ।
हम हुस्न को देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं इस से लुत्फ़ उठा सकते हैं लेकिन इस का बयान आसान नहीं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब हुस्न देख कर पैदा होने वाले आपके एहसासात की तस्वीर गिरी है। आप देखेंगे कि शाइरों ने कितने अछूते और नए नए ढंग से हसन और इस की मुख़्तलिफ़ सूरतों को बयान किया। हमारा ये इन्तिख़ाब आपको हुस्न को एक बड़े और कुशादा कैनवस पर देखने का अहल भी बनाएगा। आप उसे पढ़िए और हुस्न-परस्तों में आम कीजिए।
कम-से-कमکَم سے کَم
बहुत कम, बहुत थोड़ा, बहुत ही कम
Kam Se Kalam Tak Kaifi Azmi
एहसान हसन
Duniya Meri Arzoo Se Kam Hai
सलीम कौसर
ग़ज़ल
क़िस्सा ज़रा सी काम को इतना तूमार
मोहम्मद एहसानुल्लाह
दास्तान
Seb Ka Darakht
जाह्न गाल्सवर्दी
नॉवेल / उपन्यास
अननोन ऑथर
सेब का दरख़्त
क़ाज़ी अब्दुल ग़फ़्फ़ार
Ka Se Kahun
शहनाज़ फ़ातमी
Agar Tum Mujh Se Kah Dete
डॉ अंजना सिंह सेंगर
शाइरी
Seb ka darkhat
Safar-e-Khama
शाहिद-उल-इस्लाम
शायरी तन्क़ीद
नजमा निकहत
कहानियाँ
Sindhedi Se Ujdi Camp Tak
अज़ह सुहैल
इतिहास
Rab Se Judne Ka Safar
Salma Se Dil Laga Kar
नय्यर वास्ती
Tahqeeqi Tareeqa-e-Kar
एस.एम. शाहिद
पाठ्यक्रम
कम से कम रेत से आँखें तो बचेंगी 'क़ैसर'मैं हवाओं की तरफ़ पीठ किए बैठा हूँ
उस का वादा ता-क़यामत कम से कमऔर यहाँ मरने की फ़ुर्सत कम से कम
बस एक बार फ़क़त एक बार कम से कमसिवा मिरा हो तिरा इख़्तियार कम से कम
वो इतना कम से कम तो मेहरबाँ हैमिरा ही नाम ज़ेब-ए-दास्ताँ है
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहींज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
बरते कुछ इम्तियाज़ तो इंसान कम से कमहो अपने दोस्तों की तो पहचान कम से कम
कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाएकोई मेरा भी बुरा चाहने वाला हो जाए
कम से कम अपना भरम तो नहीं खोया होतादिल को रोना था तो तन्हाई में रोया होता
इतना बड़ा तो हो मिरा दालान कम से कमदो-चार दिन तो रुक सकें मेहमान कम से कम
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