आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maalish-e-kaf-e-afsos"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "maalish-e-kaf-e-afsos"
शेर
कफ़-ए-अफ़्सोस मलने से भला अब फ़ाएदा क्या है
दिल-ए-राहत-तलब क्यूँ हम न कहते थे ये दुनिया है
अफ़ज़ाल सरस्वी
शेर
हाथ दोनों कफ़-ए-अफ़्सोस की सूरत लिक्खे
की जो नक़्क़ाश ने तस्वीर हमारी तय्यार
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "maalish-e-kaf-e-afsos"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "maalish-e-kaf-e-afsos"
शेर
गर मलूँ मैं कफ़-ए-अफ़्सोस तो हँसता है वो शोख़
हाथ में हाथ किसी शख़्स के दे कर अपना
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
राह में सूरत-ए-नक़्श-ए-कफ़-ए-पा रहता हूँ
हर घड़ी बनने बिगड़ने को पड़ा रहता हूँ
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
जो तेरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा पे चल गए होते
तो मेहर-ओ-माह से आगे निकल गए होते