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नज़्म
एक लड़का
ये मुझ से पूछता है अख़्तर-उल-ईमान तुम ही हो
ख़ुदा-ए-इज़्ज़-ओ-जल की नेमतों का मो'तरिफ़ हूँ मैं
अख़्तरुल ईमान
ग़ज़ल
कोई ऐ 'ख़ुमार' उन को मिरे शे'र नज़्र कर दे
जो मुख़ालिफ़ीन मुख़्लिस नहीं मो'तरिफ़ ग़ज़ल के
ख़ुमार बाराबंकवी
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नज़्म
अमृता-प्रीतम
तेरे फ़न के मो'तरिफ़ होंगे वो वक़्त आने को है
फूल तेरे फ़न का हर गुलशन को महकाने को है
ओम प्रकाश बजाज
नज़्म
उर्दू ज़बान
लोगो कहीं भी इस में पस-ओ-पेश कुछ नहीं
इक मो'तरिफ़ जहान है उर्दू ज़बान का
शायर अली शायर
ग़ज़ल
पहले पहले मैं भी था अम्न ओ अमाँ का मो'तरिफ़
और फिर ऐसा हुआ नेज़ों पे सर अच्छे लगे
असअ'द बदायुनी
ग़ज़ल
हज़रत-ए-'अकबर' के इस्तिक़्लाल का हूँ मो'तरिफ़
ता-ब-मर्ग उस पर रहे क़ाइम जो दिल में ठान ली
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
जाफ़र शिराज़ी
ग़ज़ल
हर शख़्स मो'तरिफ़ कि मुहिब्ब-ए-वतन हूँ मैं
फिर 'अदलिया ने क्यूँ सर-ए-मक़्तल क्या मुझे