aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mumbai"
मुमताज़ गुर्मानी
शायर
मुमताज़ नसीम
मुमताज़ मुफ़्ती
1905 - 1995
लेखक
मुमताज़ राशिद
मुमताज़ मीरज़ा
1929 - 1997
अनवर ख़ान
1942 - 2001
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
born.1910
अब्बास मुमताज़
born.1984
अनुराज़
आदिल रशीद
1920 - 1972
मुमताज़ शीरीं
1924 - 1973
मुमताज़ हुसैन
1918 - 1992
रूबीना मुमताज़ रूबी
born.1964
रज़ा अकेडमी, मुंबई
पर्काशक
मुमताज़ मालिक
born.1971
दिल पूना से मुंबई तक भी जाए तोरस्ते में दिल्ली कलकत्ता होता है
कम-सिनी में तो हसीं अहद-ए-वफ़ा करते हैंभूल जाते हैं मगर सब जो शबाब आता है
مزید دیکھیں، فرمان فتح پوری، ’’ہندی اردو تنازع‘‘، اسلام آباد، نیشنل بک فاؤنڈیشن ۱۹۷۷ء، ص۵۳۔ (۲۱) Suniti Kumar Chatterji: India: A Polyglot Nation, and its Linguistic Problems vis a vis National Intgegration, Mumbai, Mahatma Gandhi Memorial Research Centre, 1973, pp. 50-54
एक बार हैदराबाद में मजाज़ और फ़िराक़ दोनों एक साथ ठहरे हुए थे। फ़िराक़ ने मजाज़ से मशवरे के अंदाज़ में कहा, “बम्बई चले जाओ, तुम्हारे गीत फ़िल्म वाले बड़ी क़ीमत देकर ख़रीदेंगे।”मजाज़ कहने लगे, “बम्बई में रुपये किस काम आएंगे?”
शहर मुंबईमुझे उस ने चुना है हम-सफ़र अपना
मुंबईممبئی
a city of India
मम्बा'منبع
source, fountain, spring, origin
स्रोत, चश्मा, उद्गम, मख्यज ।
Mumbai Ke Urdu Akhbarat
माजिद क़ाज़ी
पत्रकारिता
Tasawwuf Aur Hindustani Muashara
मुहिउद्दीन मुम्बई वाला
शोध / समीक्षा
Shumara Number-003,004
एजाज़ सिद्दीक़ी
Mar, Apr 1967शाइर, मुम्बई
Shumara Number-006,007,008
इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी
Jun, Jul, Aug 1983शाइर, मुम्बई
Urdu Mein Fan-e-Sawaneh Nigari Ka Irtiqa
मुमताज़ फ़ाख़िरा
आलोचना
Alipur Ka Ailee
नॉवेल / उपन्यास
कोकण और मुंबई के उर्दू लोक गीत
मैमूना दलवी
लोक गीत
002
नया अदब, मुम्बई
इल्म-ए-क़ाफ़िया
मुमताज़ अल रशीद मिन्हास
भाषा
Azadi Ke Baad Urdu Novel
मुमताज़ अहमद ख़ाँ
फ़िक्शन तन्क़ीद
Labbaik
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Talash
लेख
Shumara Number-008
फ़ारूक़ सय्यद
Apr 2019गुल बूटे, मुम्बई
Shumara Number-004
अली जवाद ज़ैदी
Jun 1993अल-इल्म, मुम्बई
Mar, Apr 1977शाइर, मुम्बई
अहबाब रिश्ते-दार सभी मुंबई में हैंलेकिन दिलों के बीच बड़े फ़ासले हैं यार
मुंबई में मुझे तीन चीज़ें पसंद आई हैं, समुंद्र, नारीयल के दरख़्त और बंबई की ऐक्ट्रस। अस्ल में इन तीन चीज़ों से बंबई ज़िंदा है, अगर इन तीन चीज़ों को बंबई से निकाल दिया जाये तो बंबई, बंबई ना रहे, शायद दिल्ली बन जाये या लाहौर।
एक शय का नाम जो बतलाए उस का नाम होअपनी गलियों में नहीं है मुंबई सी चाल भर
तू ने ऐ मुंबई जो कुछ भी दिया है मुझ कोवो मिरा शहर तो सदियों भी न दे पाए मुझे
चका-चौंधहैरत-ज़दा
ख़्याबान-ए-दानिश-गह-ए-मुंबई सेयहाँ राजपथ के सफ़र तक
शहर के क़ल्ब में वाक़े मुद्दतों से वीरान खंडर नुमा हवेली के दरवाज़े पर एक ताबूत रखा हुआ है। सरगर्मीयां जो दोपहर की तमाज़त के सबब मुअत्तल हो चुकी थीं, फिर आहिस्ता-आहिस्ता शुरू हो रही हैं। सड़कों पर इक्का दुक्का आदमी चलता दिखाई दे जाता है। जब कोई राहगीर हवेली के सामने से गुज़रता है और दरवाज़े पर रखे ताबूत पर उस की नज़र पड़ती है तो वो ठिठक कर रुक जाता है।...
पैमाना गर नहीं है तो इस तरह नाप लेजो फ़ासला है मुंबई तहरान 'इश्क़ है
बम्बई को तो मुंबई में बदल सकते हो लेकिनभोपाल तो हर हाल में भोपाल रहेगा
दिल मुद्दई के हर्फ़-ए-मलामत से शाद हैऐ जान-ए-जाँ ये हर्फ़ तिरा नाम ही तो है
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