aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "picasso"
श्री प्रकाश
लेखक
पीको लिमिटेड, लाहौर
पर्काशक
पीको आर्ट प्रेस, लाहौर
अब आख़िरी मसअला ये रह जाता है कि अगर शे'री हुस्न के मेया'र तग़य्युर-पज़ीर नहीं हैं तो फिर इसकी क्या वज्ह है कि बा'ज़ शाइ'री बा'ज़ से बहुत मुख़्तलिफ़ नज़र आती है? मुसव्विरी की दुनिया से मिसाल दी जाए तो ये कहा जा सकता है कि अगर ख़ूबसूरती हर जगह...
और तो ख़ैर नहीं बात किसी के बस कीहाँ पिकासो तिरी तस्वीर बना सकता है
4''पिकासो'' मर गया
देखे हैं बैकेट और पिकासो कब्बडी के मैदान में या गिन्सबर्ग कोइस्त्री करते हुए निक्सन से ले कर मुरार-जी तक कोई भी रोक न सका
कितनी बे-वक़अत हैं येजब तलक पिकासो सा
इश्क़ की किताब के हर वरक़ पर वफ़ा के क़िस्से ही नहीं होते बेवफ़ाई की दास्तानें भी होती हैं। प्रेम कहानियों के कई किरदार महबूब की बेवफ़ाई ने रचे हैं। शायरी में ऐसी बेवफ़ाई का ज़िक्र जा-ब-जा मौजूद है जिसे पढ़कर कोई भी शख़्स उदास या ग़मज़दा हो सकता है। बेवफ़ाई शायरी दुख-दर्द और गिले-शिकवे की ऐसी शायरी है जिसे हारे हुए लोगों ने अपना दुख कम करने के लिए पढ़ा है। इनकी मिठास आप भी महसूस कर सकते हैं इस चयन के साथः
पिकासोپکاسو
Picasso
Chhalni Ki Piyas
मुहिब आरफ़ी
काव्य संग्रह
Aanchal Ki Piyas
राज वंश
रोमांटिक
Paras-o-Paras
सुरैया हुसैन
Piyaasi
बुशरा रहमान
उपन्यास
लम्हा लम्हा प्यास
कैलाश माहिर
नज़्म
Piyase Dil
इब्राहीम अख़्तर
नॉवेल / उपन्यास
प्यासा सावन
गुलशन नन्दा
Payam-e-Fikar-o-Tadabbur
मोहम्मद क़ुतुबउद्दीन शुजा
Kaal Kothri aur Jang Pilasi
नबी अहमद संदेलवी
प्यासी बीना
दीबा ख़ानम
Piyas Ka Dariya
वाजिद सहरी
Samandar Piyasa Hai
शबाब ललित
Piyasi Jawani
कौसर चाँदपुरी
पिकासो शेक्सपियर और तू 'ग़ालिब' का संगम हैतिरे नाज़ुक इशारों पर
ज़रा देखोअज़ीम मुसव्विर पिकासो
मैं ने कल पिकासो कीये मुसव्विरी देखी
प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िरमारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े
किसी ज़ुल्फ़ को सदा दो किसी आँख को पुकारोबड़ी धूप पड़ रही है कोई साएबाँ नहीं है
इसे वास्ता क्या कम-ओ-बेश सेनशेब ओ फ़राज़ ओ पस-ओ-पेश से
रहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगेमय और पिलाओ कि अभी रात बहुत है
जिसे ज़बान-ए-ख़िरद में शराब कहते हैंवो रौशनी सी पिलाओ बड़ा अँधेरा है
हज़ारों तमन्नाएँ होती हैं दिल में हमारी तो बस इक तमन्ना यही हैमुझे इक दफ़ा अपना कह के पुकारो बस इस के सिवा कोई हसरत नहीं है
क़रीब और भी आओ कि शौक़-ए-दीद मिटेशराब और पिलाओ कि कुछ नशा उतरे
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