aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sabir raza"
महशर इनायती
1909 - 1976
शायर
साबिर रज़ा
साबिर रज़ा ख़ाँ
पर्काशक
साबिर रज़ा रहबर
संपादक
साबिर रज़ा ख़ान
लेखक
साबीर रज़ा खाँ वजीही
आदमी हैं हम नहीं हैं पेड़ पर 'साबिर' 'रज़ा'बाँटना होगा कड़कती धूप में साया हमें
अलमिया इस से सिवा 'साबिर' 'रज़ा' क्या और होअपने सारे दोस्तों को कम-नज़र कहना पड़ा
काम ले 'साबिर' तू सब्र-ओ-शुक्र सेउस की जो होगी रज़ा हो जाएगा
जो एक बार मिला था मुझे जवानी मेंअब उस का ज़िक्र बहुत है मिरी कहानी में
आज बस्ती में तिरी सानेहा ऐसा देखाहम ने हर आँख में बिफरा हुआ दरिया देखा
Zahron Ka Ilaj
औषधि
Kamalat-e-Mashaikh
Parcha Jaat Imtihaan-e-Saalana Mamba-ut-Tib College Lucknow
Chand Nagar Ki Sair
असद रज़ा
कहानी
Ek Saya Shajar Ke Saath Raha
साहिर दाऊदनगरी
Masnawi Sabr-o-Raza
सैयद निसार अली
मसनवी
Talaash-e-Sabr-o-Raza
शहनाज़ मुज़म्मिल
उपदेश
Sahir Shevi
हाशिम अब्दुर्रज़्ज़ाक़ धामस्कर
शायरी तन्क़ीद
मसनवी सब्र-ओ-रज़ा
सय्यद काज़िम हसन ख़ान
Sarguzasht Gul-e-Rana
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
काव्य संग्रह
ताइर-ए-शौक़ गिरफ़्तार नहीं रह सकताये असीर-ए-दर-ओ-दीवार नहीं रह सकता
बे-नियाज़ियों में है हाल ये अताओं काबट रहा है चीलों में रिज़्क़ फ़ाख़्ताओं का
हो कोई मसअला अपना दुआ पर छोड़ देते हैंउसे ख़ुद हल नहीं करने ख़ुदा पर छोड़ देते हैं
अता-ए-दर्द की तर्सील ना-मुकम्मल हैहमारी ज़ात की तश्कील ना-मुकम्मल है
तअल्लुक़ तुम से जो भी है नहीं मालूम कल क्या होचलो ये फ़ैसला अपना ख़ुदा पर छोड़ देते हैं
साबित रहा फ़लक मिरे नालों के सामनेठहरी सिपर हबाब के भालों के सामने
इक रंग का मौसम ही रहा करता था 'साबिर'जब आसमाँ था उस का मैं वो मेरी ज़मीं था
तू हो रहा है लज़्ज़त-ए-दुनिया से शाद-काम'साबिर' बता ये कैसा तिरा एतकाफ़ है
मैं रात ख़्वाब में कुछ ढूँढता रहा 'साबिर'सभी हों फूल मयस्सर मगर गुलाब न हो
दोस्त हो या कि अदू हो 'साबिर'सब से यक-रंग रहा करता है
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