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शेर
इस अश्क ओ आह में सौदा बिगड़ न जाए कहीं
ये दिल कुछ आब-रसीदा है कुछ जला भी है
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
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शेर
लाग़र ऐसा वहशत-ए-इश्क़-ए-लब-ए-शीरीं में हूँ
च्यूंटियाँ ले जाती हैं दाना मिरी ज़ंजीर का
असद अली ख़ान क़लक़
कुल्लियात
ऐ ‘इश्क़-ए-बे-मुहाबा तू ने तो जान मारे
टुक हुस्न की तरफ़ हो क्या क्या जवान मारे