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नज़्म
रिश्वत
किस को समझाएँ उसे खोदें तो फिर पाएँगे क्या
हम अगर रिश्वत नहीं लेंगे तो फिर खाएँगे क्या
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएँ
हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग
राही मासूम रज़ा
नज़्म
फ़रेब
हम कहाँ जाएँ कहें किस से कि नादार हैं हम
किस को समझाएँ ग़ुलामी के गुनहगार हैं हम
अली सरदार जाफ़री
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रेख़्ता शब्दकोश
samjhaane vaalaa
समझाने वालाسَمْجھانے والا
वह जो समझाए, समझाने वाला
kaun har roz ataaliiq ho samjhaa.e gaa
कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाए गाکَون ہَر روز اَتالیِق ہو سَمْجھائے گا
मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है
kaun har roz ataaliiq ho samjhaane kaa
कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाने काکَون ہَر روز اَتالیِق ہو سَمْجھانے گا
muurakh ke samjhaa.e gyaan gaa.nTh jaa.e
मूरख के समझाए ज्ञान गाँठ जाएمُورَکھ کے سَمجھائے گِیان گانْٹھ جائے
बेवक़ूफ़ को समझाने से इलम-ए-सनाए होता है
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ग़ज़ल
तन्हाई सी तन्हाई है कैसे कहें कैसे समझाएँ
चश्म ओ लब-ओ-रुख़्सार की तह में रूहों के वीराने हैं