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ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा पीने की बहारें आ गईं
काली काली बदलियाँ फिर आसमाँ पर छा गईं
सय्यद आबिद अली आबिद
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ग़ज़ल
शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है
किसी की याद मिरी ग़म-गुसार आज भी है
अलीम अख़्तर मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
तस्कीन-दिल-ओ-जाँ है अगर वो रुख़-ए-ज़ेबा
उस क़ामत-ए-ज़ेबा में है इक हश्र छुपा भी