आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shah-e-malk-e-junuu.n"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "shah-e-malk-e-junuu.n"
ग़ज़ल
हैं शह-ए-मुल्क-ए-जुनूँ सहरा है अपना तख़्त-गाह
तन पे हर दाग़-ए-जुनूँ सिक्का है अपने नाम का
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "shah-e-malk-e-junuu.n"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "shah-e-malk-e-junuu.n"
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
काट कर दस्त-ए-दुआ को मेरे ख़ुश हो ले मगर
तू कहाँ आख़िर ये शाख़-ए-बे-समर ले जाएगा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
उस की आवारगी को दु'आएँ दो ऐ साहिबान-ए-जुनूँ
जिस के नक़्श-ए-क़दम ने बिछाए सर-ए-रहगुज़र आइने
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
शब-ए-फ़िराक़ की ज़ुल्मत में ग़म के मारों का
तिरे ख़याल की ताबिंदगी ने साथ दिया
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
ज़िंदा हो रस्म-ए-जुनूँ किस की नवा-रेज़ी से
अब रहा कौन यहाँ शो'ला-ब-जाँ हम-नफ़सो
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
कोई मिलता ही नहीं वाक़िफ़-ए-आदाब-ए-जुनूँ
अब तो बस्ती ही अलग अपनी बसा ली जाए