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शेर
ऐ नवा-साज़-ए-तमाशा सर-ब-कफ़ जलता हूँ मैं
इक तरफ़ जलता है दिल और इक तरफ़ जलता हूँ मैं
मिर्ज़ा ग़ालिब
अप्रचलित ग़ज़लें
اے نوا ساز تماشا سربکف جلتا ہوں میں
یک طرف جلتا ہے دل اور یک طرف جلتا ہوں میں
मिर्ज़ा ग़ालिब
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शेर
मिरी ज़िंदगी का महवर यही सोज़-ओ-साज़-ए-हस्ती
कभी जज़्ब-ए-वालहाना कभी ज़ब्त-ए-आरिफ़ाना
फ़ारूक़ बाँसपारी
ग़ज़ल
न कोई नग़्मा हूँ न साज़-ए-ख़ुश-नवा हूँ मैं
शिकस्त-ए-शीशा-ए-दिल की मगर सदा हूँ मैं
एस. नूरुद्दीन अनवर भोपाली
नज़्म
इंक़लाब
न एशिया में न यूरोप में सोज़-ओ-साज़-ए-हयात
ख़ुदी की मौत है ये और वो ज़मीर की मौत
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जद्दाई
वो सोज़-ओ-साज़-ए-मोहब्बत वो पुर-फ़ुसूँ रातें
वो हल्का हल्का तरन्नुम वो जाँ-फ़ज़ा बातें
सिद्दीक़ कलीम
ग़ज़ल
दिल आया इस तरह आख़िर फ़रेब-ए-साज़-ओ-सामाँ में
उलझ कर जैसे रह जाए कोई ख़्वाब-ए-परेशाँ में
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ
चलो आओ हम भी निकलें ब-लिबास-ए-सोगवाराँ