aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shiin"
शीन काफ़ निज़ाम
born.1947
शायर
शिव कुमार बटालवी
1937 - 1973
सीन शीन आलम
1950 - 2021
ज़े ख़े शीन
1894 - 1922
Meem Sheen Najmi
born.1952
शीन अख्तर
1938 - 2000
लेखक
फ़े सीन एजाज़
born.1948
शीन मुज़फ़्फ़रपुरी
1920 - 1996
सरशार सैलानी
1914 - 1969
शिव ओम मिश्रा अनवर
born.1972
शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी
अनवर सेन रॉय
born.1949
जावेद वशिष्ट
1920 - 1994
मुंशी शिव परशाद वहबी
सय्यदा शान-ए-मेराज
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो लेकहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
अगर है शौक़ बड़ों से मुकालमे का तुझेदुरुस्त पहले तिरा शीन क़ाफ़ हो जाए
गली के मोड़ से घर तक अँधेरा क्यूँ है 'निज़ाम'चराग़ याद का उस ने बुझा दिया होगा
वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगामैं जानता हूँ मुझे उस ने क्या लिखा होगा
तू अकेला है बंद है कमराअब तो चेहरा उतार कर रख दे
बीसवीं सदी का आरम्भिक दौर पूरे विश्व के लिए घटनाओं से परिपूर्ण समय था और विशेष तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह एक बड़े बदलाव का युग था। नए युग की शुरुआत ने नई विचारधाराओं के लिए ज़मीन तैयार की और पश्चिम की विस्तारवादी आकांछाओं को गहरा आघात पहुँचाया। इन परिस्थितियों ने उर्दू शायरी की विषयवस्तु और मुहावरे भी पूरी तरह बदल दिए और इस बदलाव की अगुआई का श्रेय निस्संदेह अल्लामा इक़बाल को जाता है। उन्होंने पाठकों में अपने तेवर, प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं, पात्रों और इस्लामी इतिहास की विभूतियों के माध्यम से नए और प्रगतिशील विचारों की ऎसी ज्योति जगाई जिसने सब को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी शायरी की विश्व स्तर पर सराहना हुई साथ ही उन्हें विवादों में भी घसीटा गया। उन्हें पाठकों ने एक महान शायर के तौर पर पूरा - पूरा सम्मान दिया और उनकी शायरी पर भी बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने बच्चों के लिए भी लिखा है और यहां भी उन्हें किसी से कमतर नहीं कहा जा सकता। 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसी उनकी ग़ज़लों - नज़्मों की पंक्तियाँ आज भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए हैं। यहां हम इक़बाल के २० चुनिंदा अशआर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर आप हमारे चयन को समृद्ध करने में हमारी मदद करना चाहें तो आपका रेख्ता पर स्वागत है।
हम हुस्न को देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं इस से लुत्फ़ उठा सकते हैं लेकिन इस का बयान आसान नहीं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब हुस्न देख कर पैदा होने वाले आपके एहसासात की तस्वीर गिरी है। आप देखेंगे कि शाइरों ने कितने अछूते और नए नए ढंग से हसन और इस की मुख़्तलिफ़ सूरतों को बयान किया। हमारा ये इन्तिख़ाब आपको हुस्न को एक बड़े और कुशादा कैनवस पर देखने का अहल भी बनाएगा। आप उसे पढ़िए और हुस्न-परस्तों में आम कीजिए।
अगर आपको बस यूँही बैठे बैठे ज़रा सा झूमना है तो शराब शायरी पर हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए। आप महसूस करेंगे कि शराब की लज़्ज़त और इस के सरूर की ज़रा सी मिक़दार उस शायरी में भी उतर आई है। ये शायरी आपको मज़ा तो देगी ही, साथ में हैरान भी करेगी कि शराब जो ब-ज़ाहिर बे-ख़ुदी और सुरूर बख़्शती है, शायरी मैं किस तरह मानी की एक लामहदूद कायनात का इस्तिआरा बन गई है।
shinshin
पिंडली , साक ।
sheensheen
चमकीला
shin-padshin-pad
साक बंद , पिंडुलीयों पर बांधे जाने वाले हिफ़ाज़ती गदीले बंद खेलने में पहने जाने वाले
शीन-क़ाफ़ दुरुस्त न होनाشِین قاف دُرُسْت نَہ ہونا
उच्चारण सही न होना
Tahqeeq Ke Tariqa-e-Kar
शोध
Hayat-e-Ze Khe Sheen
अनीसा हारून शिरवानिया
जीवनी
Raqs-e-Bismil
आत्मकथा
Jharkhan Mein Urdu Tanqeed
Firdaus-e-Takhayyul
महिलाओं की रचनाएँ
Bayazen Kho Gayi Hain
काव्य संग्रह
Naad
Nai Duniya Purani Duniya
शीन फ़र्रुख़
लेख
Aaina-e-Haram
नज़्म
Aadhi Muskurahat
गद्य/नस्र
रास्ता ये कहीं नहीं जाता
संकलन
Nai Alf Laila
अफ़साना
Zindaan Ki Ek Raat
Menda Saain
तहमीना दुर्रानी
Fikri Ghurbat Ka Alamiya
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
मिरे ख़मीर की दहक़ानियत जताता हैये तुम से मिल के मिरा शीन क़ाफ़ हो जाना
अभी 'ऐन लिखूँ तू सोचे मुझेफिर शीन लिखूँ तिरी नींद उड़े
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ देदे रात की ठंडक को पिघलने की दुआ दे
दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारीसख़्त जाँ में भी नर्म गोशे हैं
मेरे अल्फ़ाज़ में असर रख देसीपियाँ हैं तो फिर गुहर रख दे
जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिएकितने हसीन लोग थे क्या जाने क्या हुए
याद और याद को भुलाने मेंउम्र की फ़स्ल कट गई देखो
कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँशजर पर एक भी पत्ता नहीं है
मुझ को सादात की निस्बत के सबब मेरे ख़ुदाआजिज़ी देना तकब्बुर की अदा मत देना
अपनी पहचान भीड़ में खो करख़ुद को कमरों में ढूँडते हैं लोग
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