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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
ता-सर-ए-अर्श भी इंसाँ की तग-ओ-ताज़ है क्या
आ गई ख़ाक की चुटकी को भी परवाज़ है क्या
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हुस्न सर-ता-पा तमन्ना इश्क़ सर-ता-सर ग़ुरूर
इस का अंदाज़ा नियाज़-ओ-नाज़ से होता नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
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ग़ज़ल
ना-ज़ोरी में आया न कभू ता-सर-ए-मिज़्गाँ
यक क़तरा-ए-ख़ूँ भी बुन-ए-मिज़्गाँ से निकल कर
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
ढकी थी आतिश-ए-गुल ता-सर-ए-दीवार-ए-बाग़ अब के
ख़बर 'उज़लत' को नीं बुलबुल के ख़स-ख़ाना पे क्या गुज़रा
वली उज़लत
नज़्म
गुड्डे गुड़िया का ब्याह
वो मुन्ना सा रूमाल मोज़े टसर के
झमकती कला उस के सलमे सितारे
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
कुल्लियात
मौज-ज़नी है 'मीर' फ़लक तक हर लुज्जा है तूफ़ाँ-ज़ा
सर-ता-सर है तलातुम जिस का वो आज़म दरिया है इश्क़
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ऐ शह-ए-इक़्लीम-ए-ख़ूबी ता-सर-ए-दरवाज़ा आ
नज़्र को 'बेदार' तेरी जाँ-ब-कफ़-आवर्दा है
मीर मोहम्मदी बेदार
कुल्लियात
इश्क़ की बिजली आ के गिरी सो दाग़ हुआ है सर-ता-सर
क्या रोवे जूँ अब्र कोई इस मज़रा' का हासिल है दिल
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ये किस की काविश-ए-मिज़्गाँ ने दिल से ता-सर-ए-चश्म
हज़ार चश्मा-ए-आब-ए-रवान खोल दिए