आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
नज़्म
मिरे गीत
मुझे हंगामा-ए-जंग-ओ-जदल में कैफ़ मिलता है
मिरी फ़ितरत को ख़ूँ-रेज़ी के अफ़्साने से रग़बत है
साहिर लुधियानवी
कुल्लियात
क्या सर-ए-जंग-ओ-जदल हो बे-दिमाग़-ए-इश्क़ को
सुल्ह की है 'मीर' ने हफ़्ताद-ओ-दो-मिल्लत से याँ
मीर तक़ी मीर
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
अन्य परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
ग़ज़ल
रहा है शोर उन का बाइ'स-ए-जंग-ओ-जदल बरसों
कहीं अब ज़िक्र-ए-नाक़ूस-ओ-अज़ाँ बाक़ी न रह जाए
शर्म लखनवी
ग़ज़ल
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
उन से हम से प्यार का रिश्ता ऐ दिल छोड़ो भूल चुको
वक़्त ने सब कुछ मेट दिया है अब क्या नक़्श उभारोगे
इब्न-ए-इंशा
शेर
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो