aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Showing search results for "सरपट"
Sarpat Lakhnavi
Poet
Sarpat Hyderabadi
born.1905
Author
“ऊँ” मैं मचल गई, बेगम जान ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं। अब भी जब कभी मैं उनका उस वक़्त का चेहरा याद करती हूँ तो दिल घबराने लगता है। उनकी आँखों के पपोटे और वज़नी हो गए। ऊपर के होंट पर सियाही घिरी हुई थी। बावजूद सर्दी के पसीने की नन्ही-नन्ही...
उसकी चाल ढाल से ऐसा बांकपन टपकता था कि तांगे वाले दूर ही से देख कर सरपट घोड़ा दौड़ाते हुए उसकी तरफ़ लपकते मगर वो छड़ी के इशारे से नहीं कर देता। एक ख़ाली टैक्सी भी उसे देख कर रुकी मगर उसने "नो थैंक यू" कह कर उसे भी टाल...
जज़ीरे में समुंदर का पानी उमड़ा चला आ रहा था और अलियासफ़ ने दर्द से सदा की। कि ऐ बिंत-ए-अलख़िज़्र ऐ वो जिसके लिए मेरा जी चाहता है। तुझे मैं ऊंची छत पर बिछे हुए छप्पर खट पर और बड़े दरख़्तों की घनी शाख़ों में और बुलंद बुर्जियों में ढूंडूंगा।...
चिरंजी ख़ामोश रहता है, तांगे की रफ़्तार तेज़ होती रहती है। एक बार तंग आकर वो चिरंजी से पूछती है, “कहाँ ले जा रहे हो मुझे?” चिरंजी जवाब देता है “जहां पति और पत्नी को जाना चाहिए,” घोड़ा सरपट दौड़ता एक खाई में गिरता है।...
उसने पहलू बदल कर आहिस्ते से ख़ंजर निकाला। आहिस्ते से मोगरी नींद में कसमसाई। झुके हुए काशिर को मोगरी का हाथ अपनी पीठ पर महसूस हुआ। थपकता हुआ। नींद की तर्ग़ीब देता हुआ। पेशतर इसके कि वो फिर अपने जज़्बात के धारे में बह जाये, उसने एक ही झटके से...
सरपटسرپٹ
run with fast speed
Dhar Ghaseet
Dhar Ghest
Poetry
Shumara Number-009
Khan Mahboob Tarzi
Sep 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-005
May 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-006
Jun 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-002
Feb 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-000
Oct 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-007
Jul 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-004
Apr 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-001
Jan 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-008
Aug 1937Sarpanch Film Adition
Shumara Number-012
Dec 1937Sarpanch Film Adition
Sarpanch Hind
Shumara Number-011
Nov 1937Sarpanch Film Adition
भागो... भागो... सरपट... पदमा हड़बड़ा कर उठी। चप्पल पहने, ख़्वाबगाह का दरवाज़ा खोला और बाहर निकली। हवेली अभी ख़ामोश पड़ी थी। सारे लौंडी, ग़ुलाम बरामदों में फ़र्श पर लंबी ताने सो रहे थे। वो दबे-पाँव ज़ीना उतर कर सेहन में आई। मुक़द्दस बैल आईपीनर के मुहीब बुत के नीचे से...
“अच्छा जा तुझे माफ़ किया।“ ताँगे वाला ताँगे को सरपट दौड़ाए जा रहा है। रास्ते में एक गोरा आ रहा है। सर पर टेढ़ी टोपी, हाथ में बेद की छड़ी, रुख़्सारों पर पसीना, लबों पर किसी डाँस का सुर।...
(दोनों उठकर भागते हैं। बाएँ दरवाज़े से सरपट बाहर निकल जाते हैं। रूदाबा पियानो के पर्दों पर सर झुकाए जोश-ओ-ख़ुरोश से “वेडिंग मार्च” बजा रही है। होमाए पुतले के गले में नैपकिन बांधती है। साईड बोर्ड पर रखे शम्अ-दान में मोमबत्तियाँ जलाने के बा’द शम्अ-दान डाइनिंग टेबल के वस्त में...
लेकिन बेबी तो चीख़ भी नहीं सकती, चिल्ला भी नहीं सकती। वो अपना गहरा ज़ख़्म किसी को दिखाने से भी मजबूर होगी। बेबी...माई डार्लिंग बेबी! तुम ठहर जाओ....ऐसा सरपट न भागो। यूं आँख बंद कर के दौड़ने से सड़क पर औंधे मुँह गिर भी सकती हो। फिर ये बूढ़ा ख़ूँख़्वार...
होली की आँखें पथराने लगीं। एक दफ़ा उसने अपने पेट को सहारा दिया और दीवार का सहारा ले कर बैठ गयी। कत्थू राम ने सराय में एक कमरा किराए पर लिया। होली ने डरते-डरते उस कमरे में क़दम रखा। कुछ देर बाद कत्थू राम अंदर आया तो उसके मुँह से...
“बाई हम सादी बनाया। गंगा बाई को बोलाया, कल से वो काम पे आएगी उन्होंने कुछ सरपट मराठी में दूल्हा मियां को कुछ हिदायात दीं और ख़ुद अंदर आ गईं। “हमारा हिसाब कर देन बाई।” तीस रुपया महीना के हिसाब से पच्चीस दिन के पच्चीस होते थे। मैंने दस दस...
उससे अगले दिन डाकिया चिट्ठी देने आया। टाइगर उसकी तरफ़ बिजली की तरह लपका। पिछली टांगों पर खड़ा होकर उसकी गर्दन नापना चाहता था कि हमने दौड़ कर बीच-बचाव किया और वो अपने ख़तरनाक इरादे से बाज़ आया। दो एक दिन बाद पोस्टमास्टर साहब का ख़त मिला। उन्होंने लिखा था...
दफ़्अतन घोड़ों की टापों की आवाज़ें सुनाई पड़ने लगीं। मालूम होता था कोई सिपाही घोड़े को सरपट भगाता हुआ चला आ रहा है। एक लम्हा में टापों की आवाज़ बंद हो गई और एक सिपाही दौड़ता हुआ आ पहुँचा। लोगों ने मुतहय्यर होकर देखा वो रतन सिंह था। रतन सिंह...
“मेरी जलधरा गौरय्या बन गई...” “गौरय्या बन गई...?”, बाजी ने दुहराया, और जल्दी से शाल लपेट कर शागिर्द पेशे की तरफ़ दौड़ीं... मैं भी उनके पीछे-पीछे सरपट भागी। फ़क़ीरा कोठरी में से कोन्डा बाहर लाया।...
gho.Daa sarpaT dau.Daa aayaabhai.nso.n kaa ik jo.Daa aayaa
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books