aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Showing search results for "हंसकर"
Meer Haseer Azeemabadi
Editor
Noor-ul-Hasar Ansari
Author
Haseer Noori
Poet
उसने हंसकर कहा। “अब रात हो गई है, बड़ी अच्छी रात है।” उसने अपना कमज़ोर नन्हा छोटा सा हाथ मेरे दूसरे शाने पर रख दिया और जैसे बादाम के फूलों से भरी शाख़ झुक कर मेरे कंधे पर सो गई।...
“लौंडों को लुभाने के लिए क्या तन-तन के चलती हो”, वो ज़हर उगलने लगे। “हाँ अब कोई जवान पट्ठा ढूँढ लो।” मुमानी पहले तो हँसकर टाल देतीं, फिर झेंप कर गुलनार हो जातीं। इस पर मामूँ और भी चराग़-पा होते और भारी भारी इल्ज़ाम लगाते।...
रावी: ग़ुरूब-ए-आफ़ताब के वक़्त ग़ालिब खाना खा रहे हैं। हाली के साथ दूसरे शागिर्द भी मौजूद हैं, हाली रूमाल से मक्खियां झल रहे हैं। ग़ालिब: आप नाहक़ तकलीफ़ फ़रमाते हैं। मैं इन कबाबों में से आपको कुछ भी न दूँगा। (हंसकर) भई आपने नवाब अब्दुल्लाह ख़ां का क़िस्सा सुना है।...
‘‘हरगिज़ नहीं पिरोजा ने हंसकर जवाब दिया था, और फिर एक-बार ख़ुरशीद आलम ने दरिया किनारे टहलते हुए उससे कहा था ये तुम्हारी बहादुर आँखें, हफ़्त ज़बान आँखें... जुगनू ऐसी शहाब साक़िब ऐसी, हीरे जवाहरात ऐसी, रोशन धूप और झिलमिलाती बारिश ऐसी आँखें... नर्गिस के फूल जो तुम्हारे आँखों में...
ताने की काट दर्द की शिद्दत पर ग़ालिब आई और मैंने डरते डरते पूछा, “भाई! मेरी अक़ल तो इस वक़्त काम नहीं करती। ख़ुदारा आप ही बताईए, क्या ये तकलीफ़ सिर्फ़ किरायादारों को होती है?” हंसकर फ़रमाया, “भला ये भी कोई पूछने की बात है। किराए के मकान में तंदूरुस्ती...
Many Urdu writers and poets have named their books after lines from Mirza Ghalib’s poetry. These books cover different themes, but their titles are inspired by the beauty and popularity of Ghalib’s words. A special collection of such books is available on the Rekhta Digital Library, where you can explore and enjoy them with ease.
Pablo Neruda rightfully said, Love is so short and forgetting is so long. Inspired by the prolific collection of his poems, We present you with these handpicked songs of love, its beauty, its sorrows and the despair it brings.
हंसकरہنس کر
having laughed
Cycle
शेफ़्ता: हुज़ूर, ख़्वाजा अलताफ़ हुसैन तो ज़रूर तशरीफ़ लाए हैं लेकिन नवाब मुस्तफ़ा ख़ां कहां हैं? ग़ालिब: (हंसकर) ईं, मीर मेह्दी, सुना तुमने। अरे भई मेरी बीनाई में इतना फ़ुतूर आ गया। ज़रा देखना ये नवाब मुस्तफ़ा ख़ां नहीं हैं।...
माई के पोपले मुँह पर एक-बार फिर गोल सी मुस्कुराहट पैदा हुई। इस पर राहताँ ने ज़ोर से हँसकर आस-पास फैले हुए कफ़न और काफ़ूर की बूओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश की मगर कफ़न और जनाज़े से मुफ़िर न था। यही तो माई के महबूब मौज़ू’ थे।...
सुब्ह मैं गली के दरवाज़े में खड़ी सब्ज़ी वाले से गोभी की क़ीमत पर झगड़ रही थी। ऊपर बावर्ची-ख़ाने में दाल चावल उबालने के लिए चढ़ा दिए थे। मुलाज़िम सौदा लेने के लिए बाज़ार जा चुका था। ग़ुस्ल-ख़ाने में वक़ार साहिब चीनी की चिलमची के ऊपर लगे हुए मद्धम आईने...
मुनकिर: कौन ग़ालिब? वही तो नहीं जो (हंसकर) अपने ख़्याल में हम लोगों को दूर रखने के लिए उम्र-भर शुग़ल मयख़्वारी फ़रमाते रहे। नकीर: मैं समझा नहीं।...
“जब ही तुमने कल रात आख़िरी रम्बा के बाद मुझसे शादी की दरख़ास्त की थी।” स्नेह ने हंसकर कहा। “और तुमने क्या जवाब दिया था”? उसने पूछा।...
“मुझे रियाज़ से कभी मुहब्बत नहीं थी सत्तू, मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ।”, ज़ुहरा ने बीमारों की तरह उलझ कर अपना सर कुर्सी की पुश्त पर इधर-उधर ढलका दिया और आँखें बंद कर लीं। ये तो मायों वाली रात से दो दिन पहले की बात है, तुम्हें याद नहीं कि तुम...
दुआ दे कर बोली, "आज यहां न आती तो तुमसे मुलाक़ात क्यों होती।" गुरु सेवक हंसकर बोला, "बजा फ़रमाती हैं। उल्टी शिकायत कभी आपने बुलाया और मैं न गया।"...
बेगम: अब क्या होगा? ग़ालिब: होगा क्या, घर में बैठूँगा (तोता बोलता है) मियां मिट्ठू से बातें करूँगा। आपकी नमाज़ में हारिज हूँगा। दस्तूर के मुताबिक़ शुरफ़ा को दीवानी अदालत के डिग्रीदार घर के अंदर तो गिरफ़्तार कर नहीं सकते, और दिन के वक़्त मैं बाहर निकलने से रहा। (ज़रा...
"फिर?" मोती ने हंसकर पूछा। "मैंने साफ़ इनकार कर दिया।"...
ग़ुलाम गर्दिश के अहाते में हलीमा झूटन खाकर पलती रही। उसे नवाब दुल्हन के दालान तक रींग कर आने की इजाज़त ना थी। गंदगी और ग़लाज़त में वो मुर्ग़ियों और कुत्ते के पिल्लों के साथ खेल कूद कर बड़ी हुई। बे-हया मूई हलीमा जीती गई। नायाब बो बो का दस...
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