aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "زندگی"
मकतबा नई ज़िन्दगी, दिल्ली
पर्काशक
मक्तबा ज़िन्दगी, दिल्ली
नई ज़िन्दगी बुक डिपो, दिल्ली
अहमद हसन, दफ़्तर रिसाला ज़िंदगी रामपुर
कुतुब ख़ाना लुत्फ़-ए-ज़िन्दगी, लाहौर
मोलवी सय्यद मोहम्मद हारून
लेखक
सय्यद मोहम्मद रज़ी ज़ंगीपूरी
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ हैइश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैंतुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँयहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
ग्रामीण जीवन पर आधारित टॉप 10 उर्दू कहानी की किताबें यहाँ पढ़ें। इस पृष्ठ में ग्रामीण जीवन पर आधारित सर्वश्रेष्ठ कथा कहानी हैं, जिन्हें रेख़्ता ने ई-बुक पाठकों के लिए चुना है।
किताब को मर्कज़ में रख कर की जाने वाली शायरी के बहुत से पहलू हैं। किताब महबूब के चेहरे की तशबीह में भी काम आती है और आम इंसानी ज़िंदगी में रौशनी की एक अलामत के तौर पर भी। किताब के इस हैरत-कदे में दाख़िल होइए और लुत्फ उठाइये।
इंतिज़ार ख़ास अर्थों में दर्दनाक होता है । इसलिए इस को तकलीफ़-देह कैफ़ियत का नाम दिया गया है । जीवन के आम तजरबात से अलग इंतिज़ार उर्दू शाइरी के आशिक़ का मुक़द्दर है । आशिक़ जहाँ अपने महबूब के इंतिज़ार में दोहरा हुआ जाता है वहीं उस का महबूब संग-दिल ज़ालिम, ख़ुद-ग़रज़, बे-वफ़ा, वादा-ख़िलाफ़ और धोके-बाज़ होता है । इश्क़ और प्रेम के इस तय-शुदा परिदृश्य ने उर्दू शाइरी में नए-नए रूपकों का इज़ाफ़ा किया है और इंतिज़ार के दुख को अनन्त-दुख में ढाल दिया है । यहाँ प्रस्तुत संकलन को पढ़िए और इंतिज़ार की अलग-अलग कैफ़ियतों को महसूस कीजिए ।
ज़िंदगीزندگی
life, living, existence
Adab Aur Zindagi
मजनूँ गोरखपुरी
आलोचना
Aadab-e-Zindagi
मोहम्मद यूसुफ़ इस्लाही
2011इस्लामियात
Meer Taqi Meer
अमीर हसन नूरानी
1957शायरी
Ghalib Ki Zindagi
1969जीवनी
Zindagi
चाैधरी अफ़ज़ल हक़
1959
अफ़्साना-ए-ज़िन्दगी
सय्यद मासूम अली दोजानवी
1934रोमांटिक
Hazrat Sultan Salahuddin Ayyubi Ki Zindagi
अननोन ऑथर
जीवनी
Prem Chand Ke Afsane
ख़ालिद हैदर
1999अफ़साना
Zindagi Ki Yadein
जहाँ आरा हबीबुल्लाह
2003कहानियाँ
Al-Husain
उमर अबु-अल-नसर
1955इस्लामिक इतिहास
मौलाना अशरफ़ अली थानवी
1989
Nazeer Akbarabadi
1957संकलन
Aurat: Zindagi Ka Zindan
ज़ाहीदा हिना
2006मज़ामीन / लेख
Khumkhana-e-Tasawwuf
ज़हूरुल हसन शारिब
1965तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Rasool-e-Akram Ki Siyasi Zindagi
मोहम्मद हमीदुल्लाह
1986इस्लामियात
न आशिक़ी जुनून कीकि ज़िंदगी अज़ाब हो
मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकताज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मींपाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गईशौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
बेज़ार हो गई हो बहुत ज़िंदगी से तुमजब बस में कुछ नहीं है तो बेज़ार ही रहो
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाममुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न देमैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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