aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سچ"
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस नेबात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गएऔर मैं था कि सच बोलता रह गया
सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाहकहता हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे
जी बहुत चाहता है सच बोलेंक्या करें हौसला नहीं होता
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता हैबात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे
झूट के आगे पीछे दरिया चलते हैंसच बोला तो प्यासा मारा जाएगा
तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ से कर लीतो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या
अज़ीज़-तर मुझे रखता है वो रग-ए-जाँ सेये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझेरौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलोहमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना
इश्क़ में कौन बता सकता हैकिस ने किस से सच बोला है
शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है नातू सच बता ये मुलाक़ात आख़री है ना
दिल को सँभाले हँसता बोलता रहता हूँ लेकिनसच पूछो तो 'ज़ेब' तबीअत ठीक नहीं होती
सच तो कह दूँ मगर इस दौर के इंसानों कोबात जो दिल से निकलती है बुरी लगती है
ये समझ के माना है सच तुम्हारी बातों कोइतने ख़ूब-सूरत लब झूट कैसे बोलेंगे
आसमानों से फ़रिश्ते जो उतारे जाएँवो भी इस दौर में सच बोलें तो मारे जाएँ
सच के सौदे में न पड़ना कि ख़सारा होगाजो हुआ हाल हमारा सो तुम्हारा होगा
अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूँख़ून भी थूका सच-मुच थूका और ये सब चालाकी थी
सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता हैचार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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