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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
नूर का तन है नूर के कपड़े उस पर क्या ज़ेवर की चमक है
छल्ले कंगन इक्के जोशन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
अमीर मीनाई
ग़ज़ल
ये बातों बातों में मुझ को बता गए 'तनवीर'
कल उस के हाथ का कंगन घुमा रहा था मैं
मोहसिन आफ़ताब केलापुरी
ग़ज़ल
ऐ सेहन-ए-चमन के ज़िंदानी कर जश्न-ए-तरब की तय्यारी
बजते हैं बहारों के कंगन ज़ंजीर की ये आवाज़ नहीं
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
मिस्ल-ए-शाख़-ए-गुल लचकती है कलाई बार बार
गजरे फूलों के हैं या कंगन तुम्हारे हाथ में
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ग़ज़ल
पहले तू आग़ाज़-ए-सफ़र कर फिर तारों की दूकानों से
बाली बुंदे झुमके पायल ले दूँगा मैं कंगन भी
विजय शर्मा
ग़ज़ल
ऐ मेरे हाथ के कंगन खनक आहिस्ता आहिस्ता
धड़क ऐ दिल धड़क लेकिन धड़क आहिस्ता आहिस्ता