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ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अगर सोने के पिंजड़े में भी रहता है तो क़ैदी है
परिंदा तो वही होता है जो आज़ाद रहता है
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
चाँद सितारे क़ैद हैं सारे वक़्त के बंदी-ख़ाने में
लेकिन मैं आज़ाद हूँ साक़ी छोटे से पैमाने में
मीराजी
ग़ज़ल
आबाद रहेंगे वीराने शादाब रहेंगी ज़ंजीरें
जब तक दीवाने ज़िंदा हैं फूलेंगी फलेंगी ज़ंजीरें
हफ़ीज़ मेरठी
ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया
बंद गली के आख़िरी घर को खोल के फिर आबाद किया