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ग़ज़ल
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
शौक़-ए-रुस्वाई को भी ख़ाका उड़ाना था ज़रूर
हश्र इक तस्वीर-ए-अक्सी है नज़र के सामने
अब्दुल हादी वफ़ा
ग़ज़ल
हक़ीक़त क्या 'अयाँ होती किसी तस्वीर-ए-‘अक्सी से
वो इक झूटा नज़ारा था वो जिस मंज़र पे रक्खा था
अहमद अयाज़
ग़ज़ल
कोई बात ऐसी अगर हुई कि तुम्हारे जी को बुरी लगी
तो बयाँ से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है