aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को तुझ से हैं उमीदेंये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़तू नहाती है अब भी बान में क्या
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंजिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बतअब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैंअब्र क्या चीज़ है हवा क्या है
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन मेंयहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसीअब किसी बात पर नहीं आती
अब के गर तू मिले तो हम तुझ सेऐसे लिपटें तिरी क़बा हो जाएँ
निघरे क्या हुए कि लोगों परअपना साया भी अब तो भारी है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद हैहम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहोकहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
उस को न पा सके थे जब दिल का 'अजीब हाल थाअब जो पलट के देखिए बात थी कुछ मुहाल भी
एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तकबात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
आए कुछ अब्र कुछ शराब आएइस के बा'द आए जो अज़ाब आए
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहनहमारे जैब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
है वो जान अब हर एक महफ़िल कीहम भी अब घर से कम निकलते हैं
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