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ग़ज़ल
हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह
कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
दस्त-गाह-ए-दीदा-ए-खूँ-बार-ए-मजनूँ देखना
यक-बयाबाँ जल्वा-ए-गुल फ़र्श-ए-पा-अंदाज़ है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ऐतबार साजिद
ग़ज़ल
ये कू-ए-यार ये ज़िंदाँ ये फ़र्श-ए-मय-ख़ाना
इन्हें हम अहल-ए-तमन्ना के नक़्श-ए-पा कहिए
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
साज़-ए-फ़लक ने छेड़ा मा'नी का राग जिस दम
फ़र्श-ए-ज़मीं पे रक़्साँ पाए-ए-ख़्याल देखा
मोहम्मद आज़म
ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
फ़र्श-ए-रह हैं जो दिल-अफ़गार तिरे कूचे में
ख़ाक हो रौनक़-ए-गुलज़ार तिरे कूचे में