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ग़ज़ल
हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़
तिरे मतवाले हैं मशहूर हैं मस्ताना-ए-इश्क़
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
कभी भूके पड़ोसी की ख़बर तो ली नहीं उस ने
मगर करने वो उमरा और हज हर साल जाता है