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ग़ज़ल
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैं
ये किस के हाथ से दामन छुड़ा रहा हूँ मैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
हाँ लुत्फ़ जब है पा के भी ढूँडा करे कोई
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
मिरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है
मुझे ज़ाएअ' न होने दो मुझे नींद आ रही है
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
फ़क़ीर-ए-राह को बख़्शे गए असरार-ए-सुल्तानी
बहा मेरी नवा की दौलत-ए-परवेज़ है साक़ी