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ग़ज़ल
उश्शाक़-ओ-बुल-हवस में नहीं करते वो तमीज़
वाँ इम्तियाज़-ए-नेक-ओ-बद असला नहीं रहा
अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़
ग़ज़ल
बुत बने हैं यूँ तो हम बातें बनाते हैं हज़ार
बात लेकिन वस्ल की असलन बता सकते नहीं
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
ग़ज़ल
हम भी सौ चाह से देखेंगे तुम्हारी जानिब
तुम से भी ज़ब्त-ए-तबस्सुम न फिर असला होगा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
है जिंस परी सा कुछ आदम तो नहीं असलन
इक आग लगा दी है उस अमर्द-ए-ख़ुश-गप ने
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
चारागर हाजत-ए-मरहम नहीं उन को असलन
ज़ख़्म-ए-दिल लज़्ज़त-ए-ईसार से भर जाते हैं
शेर सिंह नाज़ देहलवी
ग़ज़ल
दिल-दही के भी नहीं तर्ज़ से वाक़िफ़ असला
ये हसीनान-ए-जहाँ नाम को दिलदार हैं सब
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
जुम्बिश-ए-तेग़-ए-निगह की नहीं हाजत असलन
काम मेरा वो इशारों ही में कर जाते हैं
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
ग़ज़ल
विसाल-ए-महबूब की तमन्ना किसी पर इज़हार की न असलन
क़िरान-ए-सादैन मैं ने पूछा जो कोई अख़्तर-शुमार आया