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ग़ज़ल
यहाँ वो कौन है जो इंतिख़ाब-ए-ग़म पे क़ादिर हो
जो मिल जाए वही ग़म दोस्तों का मुद्दआ' होगा
जौन एलिया
ग़ज़ल
'ज़फ़र' बदल के रदीफ़ और तू ग़ज़ल वो सुना
कि जिस का तुझ से हर इक शेर इंतिख़ाब हुआ
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
किसी के दर्द-ए-मोहब्बत ने उम्र-भर के लिए
ख़ुदा से माँग लिया इंतिख़ाब कर के मुझे
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
इंतिख़ाब-ए-अहल-ए-गुलशन पर बहुत रोता है दिल
देख कर ज़ाग़-ओ-ज़ग़्न को ख़ुश-नवाओं की जगह
हबीब जालिब
ग़ज़ल
सवाद चश्म-ए-बिस्मिल इंतिख़ाब-ए-नुक़्ता आराई
ख़िराम-ए-नाज़ बेपरवाई-ए-क़ातिल पसंद आया