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ग़ज़ल
बा'द सय्यद के मैं कॉलेज का करूँ क्या दर्शन
अब मोहब्बत न रही इस बुत-ए-बे-पीर के साथ
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
दिल-ए-सीपारा को ले टाँक तावीज़ों में हैकल के
न सरका ये हमाइल ऐ बुत-ए-बे-पीर पहलू से
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
ख़ुदा शाहिद है इस का फिर नहीं मिलती नहीं मिलती
तबीअ'त अपनी जिस से ओ बुत-ए-बे-पीर फिरती है
मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल
ग़ज़ल
याद आयेगा ख़ुदा उस को मिरे मरने के बाद
मैं तो ईमाँ ले के डूबूँगा बुत-ए-बे-पीर का
ख़िज़्र नागपुरी
ग़ज़ल
सोहान-ए-रूह उस का तग़ाफ़ुल हुआ करे
हर जान-ए-जाँ है उस बुत-ए-बे-पीर का ख़याल
तमीज़ुद्दीन तमीज़ देहलवी
ग़ज़ल
मज़ा क्या उस बुत-ए-बे-पीर से दिल के लगाने का
जो ख़ल्वत में हो बुत महफ़िल में हो तस्वीर की सूरत
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
लोग कहते हैं कि इस दिल में ख़ुदा रहता है
किस लिए चल दिया फिर उस बुत-ए-बे-पीर के साथ
असग़र निज़ामी
ग़ज़ल
इक नज़र से मुझ को रस्ते पर लगा कर चल दिया
मैं कि फिर देखा किया रस्ता बुत-ए-बे-पीर का
तमीज़ुद्दीन तमीज़ देहलवी
ग़ज़ल
ख़त-ए-तक़्दीर से बेहतर मैं समझूँ इस को दुनिया में
तू लिखवा लाए गर क़ासिद बुत-ए-बे-पीर से काग़ज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
इस क़दर खिंचना नहीं अच्छा बुत-ए-बे-पीर देख
प्यार की नज़रों से सू-ए-आशिक़-ए-दिल-गीर देख