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ग़ज़ल
हाथ जिस से कुछ न आए उस की ख़्वाहिश क्यूँ करूँ
दूध की मानिंद मैं पानी बिलो सकता नहीं
इक़बाल साजिद
ग़ज़ल
कहा मैं ने बात वो कोठे की मिरे दिल से साफ़ उतर गई
तो कहा कि जाने मिरी बला तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता