आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "تاراج"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "تاراج"
ग़ज़ल
सजाए बाज़ुओं पर बाज़ू वो मैदाँ में तन्हा था
चमकती थी ये बस्ती धूप में ताराज ओ ग़ारत सी
बशीर बद्र
ग़ज़ल
हैफ़! कहते हैं हुआ गुलज़ार ताराज-ए-ख़िज़ाँ
आश्ना अपना भी वाँ इक सब्ज़ा-ए-बेगाना था
ख़्वाजा मीर दर्द
ग़ज़ल
दिल-ओ-दीन-ओ-ख़िरद ताराज-ए-नाज़-ए-जल्वा-पैराई
हुआ है जौहर-ए-आईना ख़ेल-ए-मोर ख़िर्मन में
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
किया था इश्क़ ने ताराज जिस सेहन-ए-गुलिस्ताँ को
मैं अब उस पर मोहब्बत को निगहबाँ कर के छोड़ूँगा
अजमल सिराज
ग़ज़ल
'अली' ओ 'तालिब' ओ 'शैदा' ओ 'ताबाँ' 'साक़ी' ओ 'माइल'
हुआ ताराज गुलशन जब ख़िज़ाँ आई बहारों में
साहिर देहल्वी
ग़ज़ल
क़ादिर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
सय्यादों ने गुल-चीनों ने गुलशन को ताराज किया
लेकिन हम दीवानों से आबाद अभी वीराने हैं