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ग़ज़ल
मैं ने सारी दुनिया में बस एक हसीना देखी है
बाक़ी कोई हुस्न नहीं है चर्बा है शहज़ादी का
अहमद अज़ीम
ग़ज़ल
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
इक हसीना की सियह-ज़ुल्फ़ों पे झाला यूँ लगे
नाग काला छग के जैसे पी गया है बर्फ़ बर्फ़
मसूद हस्सास
ग़ज़ल
अख़्तर अंसारी
ग़ज़ल
अख़्तर अंसारी
ग़ज़ल
शीशे में देख वो अपनी अदा जब शोख़ हसीना शरमाए
ऐसे में पसीना आ जाए तो माँग पे संदल क्या ठहरे