आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "دوعالم"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "دوعالم"
ग़ज़ल
तौहीद तो ये है कि ख़ुदा हश्र में कह दे
ये बंदा दो-आलम से ख़फ़ा मेरे लिए है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
देख कर नज़म-ए-दो-आलम हमें कहना ही पड़ा
ये सलीक़ा है कसे अंजुमन-आराई का
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
दो-आलम से गुज़र के भी दिल-ए-आशिक़ है आवारा
अभी तक ये मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर नहीं आया
नातिक़ लखनवी
ग़ज़ल
तसव्वुर ख़ाल-ओ-आरिज़ का तमाशा-ए-दो-आलम है
यहाँ आँखों में रहना है वहाँ दिल में उतर जाना
साहिर देहल्वी
ग़ज़ल
क़ल्ब-ओ-जाँ फ़िक्र-ए-दो-आलम से रिहाई पा लें
भर दे साक़ी मय-ए-वहदत मिरे पैमाने में