आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سواگت"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سواگت"
ग़ज़ल
जंगल की या बाज़ारों की धूल उड़ी है स्वागत को
हम ने घर के बाहर जब भी अपने पाँव निकाले हैं
अमीक़ हनफ़ी
ग़ज़ल
आने वाले कल का स्वागत कैसे होगा कौन करेगा
जलते हुए सूरज की किरनें सर पर होंगी तब सोचेंगे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
वही तूफ़ाँ का स्वागत किया करता है 'क़मर'
जिस ने कश्ती को किनारे से जुदा रक्खा है
सय्यद क़मर हैदर क़मर
ग़ज़ल
साजन के स्वागत को सूरज लाया भर भर थाली धूप
ख़ुश हो कर दोनों हाथों से चारों ओर उछाली धूप
सुलताना मेहर
ग़ज़ल
क्यों बहारों का हो स्वागत क्यों ख़िज़ाँ से बे-रुख़ी
जो भी मौसम ज़िंदगी में हो सदा होता नहीं
अंजू केशव
ग़ज़ल
हिना अंबरीन
ग़ज़ल
आसिम वास्ती
ग़ज़ल
मिला है ख़ाक में मजनूँ सुवारत सारी मेहनत थी
कोई ज़र्रा जो उड़ कर गोशा-ए-महमिल में रह जाता