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ग़ज़ल
सवाद-ए-रौमत-उल-कुबरा में दिल्ली याद आती है
वही इबरत वही अज़्मत वही शान-ए-दिल-आवेज़ी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मुबारक हो ज़ईफ़ी को ख़िरद की फ़लसफ़ा-रानी
जवानी बे-नियाज़-ए-इबरत-ए-अंजाम है साक़ी
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
है अदम में ग़ुंचा महव-ए-इबरत-ए-अंजाम-ए-गुल
यक-जहाँ ज़ानू तअम्मुल दर-क़फ़ा-ए-ख़ंदा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
नुस्ख़ा-ए-हस्ती में इबरत के सिवा क्या था 'हफ़ीज़'
सुर्ख़ियाँ कुछ मिल गईं अपने फ़साने के लिए
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
सच ये कहते हैं कि हँसने की जगह दुनिया नहीं
चश्म-ए-इबरत हैं चमन के फूल मुरझाने के बाद