आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مسجدیں"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "مسجدیں"
ग़ज़ल
दिल की अपनी सब मुरादें प्यारे रब से माँग लो
खुल गए रब के ख़ज़ाने माह-ए-रमज़ाँ आ गया
शगुफ़्ता शफ़ीक़
ग़ज़ल
इक दिन जो 'फ़रहत-एहसास' उट्ठा नमाज़ पढ़ने
देखा कि मस्जिदें ख़ुद बुत-ख़ाना हो रही हैं