aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "مصاحبت"
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखतू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं नेफूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बतअब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम
जबीं को दर पे झुकाना ही बंदगी तो नहींये देख मेरी मोहब्बत में कुछ कमी तो नहीं
मौज-ए-शमीम-ए-सुम्बुल-ओ-रैहाँ के दरमियाँवा है मुसाहिबत का दरीचा तिरे लिए
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने काउसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
बजा कि हर कोई अपनी ही अहमियत चाहेमगर वो शख़्स तो हम से मुसाहिबत चाहे
मुसाहिबत का कोई सिलसिला नहीं है क्याकिसी भी शख़्स से अब राब्ता नहीं है क्या
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चलहार जाने का हौसला है मुझे
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहींचीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया
हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतरातावगर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है
आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्ततू मुसीबत में अजब याद आया
दास्ताँ ख़त्म होने वाली हैतुम मिरी आख़री मोहब्बत हो
मैं तिरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँकितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती हैउस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
अव्वल अव्वल की मोहब्बत के नशे याद तो करबे-पिए भी तिरा चेहरा था गुलिस्ताँ जानाँ
मोहब्बत करने वाले कम न होंगेतिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
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