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ग़ज़ल
मियान में उस ने जो की तेग़-ए-जफ़ा मेरे बा'द
ख़ूँ-गिरफ़्ता कोई क्या और न था मेरे बा'द
मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल
ग़ज़ल
मैं तेरे हिज्र में बैठा हुआ कुछ फूल गिन लूँगा
मियान-ए-बे-दिली रंग-ए-गुलिस्ताँ कौन देखेगा
पल्लव मिश्रा
ग़ज़ल
मियान-ए-हश्र ये काफ़िर बड़े इतराए फिरते हैं
मज़ा आ जाए ऐसे में अगर सुन ले ख़ुदा मेरी