आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "نعش"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "نعش"
ग़ज़ल
हम न कहते थे कि नक़्श उस का नहीं नक़्क़ाश सहल
चाँद सारा लग गया तब नीम-रुख़ सूरत हुई
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
वो उट्ठा शोर-ए-मातम आख़िरी दीदार-ए-मय्यत पर
अब उट्ठा चाहती है ना'श-ए-'फ़ानी' देखते जाओ
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
नाम-ए-बद-बख़्ती-ए-उश्शाक़-ए-ख़िज़ाँ है बुलबुल
तू अगर निकले चमन से तो बहार आ जाए
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
क्यूँ हज़रत-ए-मूसा की तरह ना'श में 'नस्साख़'
गर तुम ने बुत-ए-होश-रुबा को नहीं देखा
अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़
ग़ज़ल
ठुकरा कर नाश हर ईसा कहता है नाज़ से हो बरहम
उठ जल्द खड़े हैं देर से हम किन नींदों ग़ाफ़िल सोता है
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
साथ मय्यत के मिरी वो नहीं चलते दो क़दम
बस वहीं नाश को उठवा के चले आते हैं