aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گوا"
कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिलामंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगामगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलबगिरह में ले के गरेबाँ का तार तार चले
मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिरहाथ दु'आ से यूँ गिरा भूल गया सवाल भी
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गयाइतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहींमैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जातेवर्ना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
तुम्हारे बा'द भला क्या हैं वअदा-ओ-पैमाँबस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो
गाह जलती हुई गाह बुझती हुईशम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गयाहर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
इक हुनर है जो कर गया हूँ मैंसब के दिल से उतर गया हूँ मैं
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगामसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तकउस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगाइतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीदलो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
आते आते मिरा नाम सा रह गयाउस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
तरब-आशना-ए-ख़रोश हो तू नवा है महरम-ए-गोश होवो सरोद क्या कि छुपा हुआ हो सुकूत-ए-पर्दा-ए-साज़ में
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