आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "कोतह-कमंद"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "कोतह-कमंद"
ग़ज़ल
एक मैं कोताह-क़द था उस की महफ़िल में 'मुशीर'
इस लिए मेरे 'अलावा हर किसी का सर गया
मुशीर झंझान्वी
ग़ज़ल
तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा
जादू-ए-नयन नर्गिस-ए-बुस्ताँ सीं कहूँगा
अब्दुल वहाब यकरू
ग़ज़ल
आब ओ गिया से बे-नियाज़ सर्द जबीन-ए-कोह पर
गर्मी-ए-रू-ए-यार का अक्स भी राएगाँ गया
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
ग़ज़ल
ख़स-ओ-ख़ाशाक भी कब के हैं भँवर से निकले
इक हमीं हैं कि नहीं नर्ग़ा-ए-शर से निकले