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ग़ज़ल
क़ब्र तक पहूँचा गए सारे अज़ीज़-ओ-अक़रिबा
आगे आगे फिर रफ़ीक़-ए-राह तन्हाई हुई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हुए इत्तिफ़ाक़ से गर बहम तो वफ़ा जताने को दम-ब-दम
गिला-ए-मलामत-ए-अक़रिबा तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
दिल-ए-बे-क़रार चला तो था गिला-ए-हयात लिए हुए
ग़म-ए-इश्क़ रूह पे छा गया ग़म-ए-काएनात लिए हुए
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
जिन्हें ख़बर थी कि शर्त-ए-नवागरी क्या है
वो ख़ुश-नवा गिला-ए-क़ैद-ओ-बंद क्या करते
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
है दौर-ए-जहाँ में मुझे सब शिकवा तुझी से
क्यूँ कुछ गिला-ए-गर्दिश-ए-अय्याम करूँ मैं