आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चिल्ला"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "चिल्ला"
ग़ज़ल
चिल्ला-ए-जाँ पर चढ़ा कर आख़िरी साँसों के तीर
मौत की सरहद में दाख़िल ज़िंदगानी हो गई
इक़बाल साजिद
ग़ज़ल
तान लीं दोनों भवें डाल के नज़रें उस ने
तीर छोड़े तो कमानों ने भी चिल्ला खींचा
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
फूलों वाले तरकश के इक तीर ने मेरी आँखें ले लीं
और जिस ने चिल्ला खींचा था वो भी इक अंधा लड़का था
बिमल कृष्ण अश्क
ग़ज़ल
कौन चखे ये पान का बीड़ा कौन चढ़ाए चिल्ला
नस नस टूट टूट रह जाए जीवन वो कड़ी कमान
कृष्ण कुमार तूर
ग़ज़ल
रूप की देवी राम न होगी चिल्ला खींचो जोग करो
लाख लगाओ तुम आँखों से उन चरनों की धूल मियाँ
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
अब उस के रतजगों ने भी पहन लिया गिलाफ़-ए-नींद
जो चिल्ला-कश था ग़ार में हुजूम में वो खो गया
क़ासिम याक़ूब
ग़ज़ल
धनक से सुरमे की चिल्ला है ता ब-गोशा-ए-चशम
कोई है सैद जो फिर ज़ह हुई कमान-ए-निगाह