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ग़ज़ल
जो छुड़ाई माँग से कहकशाँ तो सितारे काँप के रह गए
तिरी ज़ुल्फ़ अब्र की छावनी तिरा चेहरा माह-ए-तमाम है
बदीउज़्ज़माँ सहर
ग़ज़ल
उस के नर्म मधुर बोलों ने दिल पर छावनी छाई थी
या तपती सूखी धरती पर छाजों ही मेंह बरसा था
कृष्ण कुमार तूर
ग़ज़ल
ज़िंदा हो जब ज़मीर तो लाज़िम है एहतियात
पलकों की छावनी में निगाहों की लाज क्या
शाइक़ मुज़फ़्फ़रपुरी
ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-गुल का इस से बढ़ कर और क्या होगा सुलूक
बिजलियों की छावनी में आशियाँ बाक़ी रहा
साजिद रिज़वी
ग़ज़ल
हमारे लहजे में ये तवाज़ुन बड़ी सऊबत के बअ'द आया
कई मिज़ाजों के दश्त देखे कई रवय्यों की ख़ाक छानी