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ग़ज़ल
ख़ालिद फ़तेहपुरी
ग़ज़ल
अल्लह अल्लह एहतिमाम-ए-जज़्बा-ए-ज़ौक़-ए-नियाज़
रोक ली है जैसे ग़ुंचों ने हँसी तेरे लिए
सुल्तान शाकिर हाश्मी
ग़ज़ल
नियाज़ गुलबर्गवी
ग़ज़ल
वादी-ए-दिल-नवाज़ से जिस्म के ग़ार में उतर
ज़ौक़-ए-नज़र का वास्ता सूरत-ए-सरसरी न देख
नियाज़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
नज़र मिलाई जो उन से तो ऐ 'नियाज़' लगा
मिज़ाज-ए-यार में पहली सी बरहमी न रही
नियाज़ अली नियाज़ क़ैसरी
ग़ज़ल
अब इंक़िलाब-ए-दहर की बातें कहाँ 'नियाज़'
जिस फ़िक्र-ओ-फ़न पे नाज़ था कब का बदल गया
नियाज़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
ख़बर भी है कि तुम्हारा 'नियाज़' शो'ला-नवा
हुदूद-ए-जिस्म से बाहर बिखरना चाहता है
नियाज़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
जब से बाज़ार में बिकने लगे फ़नकार 'नियाज़'
मुझ से अरबाब-ए-क़लम शहर में कम आते हैं