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ग़ज़ल
क्या क्या ज़ियान 'मीर' ने खींचे हैं 'इश्क़ में
दिल हाथ से दिया है जुदा सर जुदा दिया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
दिल-ए-सय्याद से शिकवा करूँ क्या सहल है इस को
'अदू फूलों का हो कर हम-ज़ियान-ए-ख़ार हो जाना
साक़िब लखनवी
ग़ज़ल
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
यहाँ है फ़ाएदा ख़ुद को अगर नुक़सान में रख लें
इक़बाल कौसर
ग़ज़ल
शिकवा बे-फ़ाएदा करता है किसी का हमदम
था मुक़द्दर में लिखा यूँ ही ज़ियान-ए-देहली
सय्यद मेहदी हुसैन मेहदी
ग़ज़ल
न ताब नूर-ए-तजल्ली की ला सका मूसा
फ़रोग़-ए-हुस्न हुआ बाइस-ए-ज़ियान-ए-निगाह
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
ये सब सुरूद-ए-ख़्वाब है ये नफ़ा क्या ज़ियान क्या
कमाल क्या ज़वाल क्या यक़ीन क्या गुमान क्या